उजड़ रहे घरों को फिर बसाइए ज़मीन पर। -03-Dec-2021
फ़लक फ़लक भटक लिए तो आइए ज़मीन पर।
उजड़ रहे घरों को फिर बसाइए ज़मीन पर।
ख़ुदा बनें यूं चाहतों में दफ्न आदमी न हो।
सो आदमी को आदमी बनाइए ज़मीन पर।
बसात में ज़हर घुला मिला दिखा ये सोचकर।
समय की मांग है पियूष लाइए ज़मीन पर।
दिखाएगी जहान को वो आसमान चूमकर।
सो बेटियों को आप अब बचाइए ज़मीन पर।
गगन पे हक उसी का है उसी का है ये देश भी।
जो अपनी जान भी यहां लूटा दिए ज़मीन पर।
©®दीपक झा "रुद्रा"
Chirag chirag
09-Dec-2021 05:36 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
05-Dec-2021 01:16 AM
बहुत खूबसूरत
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आर्या मिश्रा
05-Dec-2021 01:01 AM
Very nice
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